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काशीपुर। 9 मार्च 2025 खेल विभाग एवं युवा कल्याण विभाग के एकीकरण के विरोध में मुख्यमंत्री के काशीपुर पहुंचने पर खिलाड़ियों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर एकीकरण का विरोध करते हुए सरकार से एकीकरण नहीं किए जाने की मांग की है। खेल विभाग के अधिकारियों और खिलाड़ियों ने मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में आग्रह किया है कि सरकार खेल विभाग एवं युवा कल्याण विभाग तथा प्रांतीय रक्षक विभाग को पूर्व की भांति अलग-अलग ही रहने दिया जाए क्योंकि सभी के कार्य अलग-अलग हैं और रूपरेखा भी अलग-अलग है। स्टेडियम में मुख्यमंत्री को ज्ञापन समझते हुए प्रधान कोच सरफराज हुसैन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से स्पोर्ट्स स्टेडियम में पहुंचने के पर मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में कहा है कि दिनांक 01.03.2025 को विशेष प्रमुख सचिव खेल एवं निदेशक खेल, उत्तराखण्ड देहरादून की अध्यक्षता में एक बैठक आहूत की गई। जिसमें शासन द्वारा खेल एवं युवा कल्याण विभाग के एकीकरण प्रक्रिया को पुनः प्रारम्भ किये जाने की जानकारी दोनो ही विभागों के अधिकारियों को देते हुये उनके मन्तव्य मांगे गये। जिसमें बैठक में उपस्थित खेल विभाग के समस्त अधिकारियों द्वारा सर्वसहमति से विरोध किया गया, किन्तु अभी भी विभागीय एकीकरण का भय विद्यमान है। जिसके क्रम में निम्न बिन्दुओं के माध्यम से एकीकरण ना किये जाने हेतु अवगत कराया गया है उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि

खेल विभाग पूर्णतः तकनीकी विभाग है, जबकि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग गैर तकनीकी विभाग है जिसके कारण इसका पूर्णतः एकीकरण किया जाना संभव नहीं है। युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग में भी दो घटक (1) युवा कल्याण एवं ग्रामीण खेलकूद (2) पीआरडी स्वयं सेवक सम्मिलित हैं, जिसके दृष्टिगत खेल विभाग के साथ किया गावीशान्तीय रक्षक दल (पीआरडी) विभाग को एकीकृत किया जाना खेलों के विकास एवं खिलाडियों के हित में किसी भी दृष्टि में लाभदायक / न्यायोचित नहीं है।

आगे उन्होंने कहा कि खेल विभाग द्वारा मुख्य एवं मात्र खेल गतिविधियों का ही संचालन कराया जाता है जबकि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग द्वारा अनेकों प्रकार की योजनाएं संचालित/क्रियान्वित करायी जाती है, जिसमें ग्रामीण खेलकूद गतिविधियां कुल योजनाओं योजना में 5 प्रतिशत का ही कार्य है, जबकि अन्य सभी योजनाएं 95 प्रतिशत की है, जो खेल गतिविधियों से पूर्णतः इतर है, जिसका खेल से किसी भी प्रकार की कोई समानता नहीं है।तथा सरकार द्वारा यदि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग को किसी अन्य विभाग में एकीकृत किया जाना आवश्यक हो तो इस विभाग की योजनाओं/गतिविधियों जैसे-पीआरडी स्वयं सेवक सेवायोजन/शान्ति सुरक्षा फोर्स को मध्यनजर रखते हुए युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग को होमगार्ड अथवा सेवायोजन विभाग के साथ एकीकृत किये जाने पर विचार किया जा सकता है।दोनों विभागों के एकीकरण के सम्बन्ध में उल्लेखनीय है कि खेल विधा चाहे वो ग्रामीण स्तर पर हो अथवा शहरी स्तर पर एक तकनीकी विधा है जिसके कुशल संचालन हेतु कार्मिकों का तकनीकी रूप से दक्ष होना नितान्त आवश्यक है।वर्तमान में खेल विभाग के कार्मिक यथा अपर निदेशकर संयुक्त निदेशक उप निदेशकर सहायक निदेशक, जिला कीड़ा अधिकारी, उप क्रीड़ा अधिकारी, प्रशिक्षक, आदि सभी तकनीकी योग्यता लिए हुए एवं तकनीकी रूप से दक्ष कार्मिक है,जबकि युवा कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक उप निदेशक, सहायक निदेशक, जिला युवा कल्याण अधिकारी, क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी तकनीकी रूप से दक्ष कार्मिक नहीं है तथा इनकी भर्तियां सामान्य अर्हता के आधार पर होती हैं। युवा कल्याण विभाग में मात्र व्यायाम प्रशिक्षक ही तकनीकी दक्षता रखते हैं. किन्तु उनकी दक्षता भी तकनीकी मानदंड के न्यूनतम स्तर (सामान्य डी०पी०एड०बी०पी०एड०) को पूरा करता है जबकि उनकी तुलना खेल विभाग के प्रशिक्षक उच्चस्तरीय तकनीकी दक्षता (खेल विशेष में एन०आई०एस० दक्षता) रखते है। महकारी समितियां एवं पंचायतें लेखा परीक्षा तथा स्थानीय निधि लेखा परीक्षा, जी०एम०वी०एन० एवं के०एम०वी०एन० कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग के एकीकरण की भी सैद्धान्तिक सहमति हुई है किन्तु इनका एकीकरण आज तक नहीं हो सका है। आडिट विभाग के एकीकरण का निर्णय भी वर्ष 2012 में लिया गया था. किन्तु 08 वर्ष व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी आज तक व्यवहारिक रूप में एकीकरण अस्तित्व में नहीं आ सका है. क्योंकि आरम्भ में दोनों विभागों (सहकारी समितियां एवं पंचायतें तथा स्थानीय निधि लेखापरी के हुए एकीकृत वाचा परिकल्पित किया गया है किन्तु दोनों विमानों के में जाने वाली समस्या का बाज तक निराकरण नहीं हो सका है।विभाग एवं युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक विभाग के एकीकरणसंबंधी कार्यवाही को न तो संघ को जानकारी दी गयी है और ही मंच में कोई सुझाव/मन्तब्य मांगा गया। खेल विभाग एवं एवं जीवनविभाग में वर्तमान में कार्यरत् अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा समय-समान्तीविना में अपनी सेवा उक्त विभागों के सेवा शतों/नियमों के अन्तर्गत दी गयी है। विना में दोनों विभागों के नगण्य अधिकारियों को छोड़कर शेष सभी अधिकारी निश्चित कत्ता एवं पदावति निश्वित रूप से प्रभावित होगी, जिसके दृष्टिगत कार्मिकार मेहता जाने को विवश होना पड़ेगा और इन कार्मिकों की पदोन्नति सेवानिवृत्ति होने तक भी संभावना नहीं है।B-पैतृक राज्य के समय से ही उत्तराखण्ड राज्य क्षेत्र खेल प्रतिभा में कमी नहीं रही। समय-समय पर उत्तराखण्ड के खिलाडियों द्वारा ओलम्पिक विश्वस्तरीय शिवीसा तथा राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में प्रदेश का नाम रोशन किया गया है। कोमन का खेल विभाग राज्य की प्रतिष्ठा से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित है। एकीकरण करने में गैर तकनीकी कार्मिकों के द्वारा तकनीकी कार्य संपादित कराये जाने से राज्य की प्रतिष्ठा प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। राज्य गठन के उपरान्त खेल विभाग/प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा जो उपलब्धियां प्राम की गयी है।खेलकूद तथा युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग का एकीकरण वैधानिक रूप से भी उचित नहीं होगा। महोदय के संज्ञान में लाना है कि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय प्रान्तीय रक्षक दल विभाग वर्ष 1948 के अधिनियम से विनियमित होता है। इस अधिनियम में उस विभाग के अधिकांश कार्मिकों/अधिकारियों के पदनाम/कार्य दायित्व भी परिभाषित हैंए जैसे समादेष्टा तथा सहायक समादेष्टा इत्यादि-इत्यादि। बिना वैधानिक संशोधन/परिवर्तन के उनके दायित्वों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। तथा दोनों विभागों के एकीकरण के संदर्भ में सामान्य तर्क यह दिया जाता है कि देश के अधिकांश राज्यों में यह दोनों विभाग एक ही मंत्रालय के अधीन है। यह तथ्य इस सीमा तक सही है। परन्तु विचारणीय यह है कि जिला/क्षेत्रीय स्तर के क्षेत्रों के जिन भी कार्मिकों/अधिकारियों की अर्हताएं/शैक्षिक योग्यताएं खेल विभाग के अधिकारियों/कार्मिकों की मंजति न कि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के अधिकारियों/कार्मिकों की भांति। इस प्रकार यह समझा जा सकता है कि जिन राज्यों में भी यह दोनों विभाग एक मंत्रालय के अधीन है वहां विभागीय स्तर तक के अधिकारी तक की न्यूनतम योग्यता वह होती है. जो खेल विभाग के अधिकारी की होती है। युवा कल्याण विभाग के अधिकारी इस अपेक्षा को पूर्ण नहीं करते हैं। एवं किसी भी विभाग के विशेषकर तकनीकी विभागो के संदर्भ में यह मान्य सिद्धान्त रहा है कि उन विभागों में विभागीय रूप से तकनीकी दक्ष अधिकारी ही विभागाध्यक्ष के पद तक तैनात किए जाए। जैसे-अभियंत्रण विभागों में प्रमुख अभियन्ता तथा चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में महानिदेशक पदधारक डाक्टर की योग्यता पूर्ण करने वाले ही होते हैं। इस सिद्धान्त की पृष्ठभूमि यह है कि तकनीकी रूप से दक्ष विभागाध्यक्ष होने पर वे विभागीय कार्यक्रमों/ गतिविधियों/निर्माण कार्यों एवं शासन को भेजे जाने वाले प्रस्तावों का तकनीकी पक्ष भलिभांति परीक्षण कर सकते हैं। तथा खेल विभाग की मुख्य गतिविधियां खेल प्रशिक्षण/खेल प्रतियोगिता का आयोजन करना है इस हेतु जो भी खेल अवस्थापना सुविधाओं जैसे सिंधैटिक ट्रैक, एस्ट्रोटर्फ स्वीमिंग पूलए बा०क्सिग रिंग, बैडमिंटन हाल या स्टेडियम इत्यादि निर्मित किये जाते हैं उनमें अन्तरर्राष्ट्रीय मानकों का ध्यान रखा जाता है। इस दृष्टिकोण से भी खेल विभाग के अधिकारी तकनीकी रूप से दक्ष/भिज्ञ होते हैं। यह सफल प्रशासन का बहुमूल्य मानक है कि विभागीय उच्च स्तर के अधिकारी यदि तकनीकी रूप से दक्ष होगे तो वे उचित निरीक्षण/पर्यवेक्षण/प्रशासन चला सकेंगे। यह सर्वविदित ही है कि खेल विभाग के द्वारा जो भी प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती है वे संबंधित खेल की अन्तर्राष्ट्रीय एसोसिएशन के द्वारा बनाए गए नियमों के अन्तर्गत कराई जाती है। खेल विभाग के अधिकारी इसमें दक्ष होते हैं। जबकि युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के अधिकारी/कर्मचारी इससे सर्वचा अनभिज्ञ होते है। जहां तक व्यायाम प्रशिक्षक का प्रश्न है उसके लिए भी मात्र शारीरिक शिक्षा में डिग्री/डिप्लोमा अपेक्षित होता है जिसकी खेल विभाग के प्रशिक्षणों से कोई तुलना नहीं है।तथा खेल विभाग में कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट प्रशिक्षकों के मानदेय हेतु अनुमानित 10 करोड़ के सापेक्ष वर्ष 2025-20 में बजट में मात्र 10 लाख रूपय का प्राविधान है जिससे शिक्षकों जीविको पार्जन में खतरा उत्पन्न हो गया है। जबकि युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित खेल महाकुम्भ के लिये बजट में 15 करोड़ स्वीकृत किये गये है। जिस प्रतियोगिता के प्रमाण-पत्रों की कोई वैधता / महत्व नहीं है, ना ही इनका कोई अधिमान मिलता है। युवा कल्याण के कुछ अधिकारियों की तैनाती प्रतिनियुक्ति में राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के दृष्टिगत खेल विभान में की गई है. राष्ट्रीय खेलों का सफल आयोजन हो चुका है। अतः अब युवा कल्याण विभाग के अधिकारियों को अपने मूल विभाग में भेजना उचित रहेगा। जिससे पुमा कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन सकुशल किया जा सके।मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा कि उपरोक्त के दृष्टिगत खेल विभाग के समस्त अधिकारी/ कार्मिक एवं प्रशिक्षक प्रस्तावित एकीकरण के प मैं नहीं है।  खेल विभाग एवं युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक विभाग को एकीकृत में किया जाना खेलों के विकास एवं खिलाड़ियों के प्रोत्साहन एवं कर्मचारियों के हितों के लिए पूर्णतः लाभप्रद होगा। खेल विभाग एवं युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के एकीकरण के संबंध में खेल विभाग, उत्तराखण्ड के सभी कार्मिकों की असहमति है। इसीलिए महत्वपूर्ण विषय के दृष्टिगत प्रदेश में खेल एवं खिलाड़ियों के सम्पूर्ण विकास के लिये एवं खेल के अस्तित्व एवं खिलाड़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने जैसा कि पूर्व में था इस प्रकार से सभी विभागों को अलग-अलग रहने दिया जाए। ज्ञापन देने वालों में मोहित सिंह प्रशिक्षक, मोहित सहायक प्रशिक्षक नावेद ठेकेदार प्रशिक्षक, महिमा भंडारी,ऋचा शर्मा का प्रशिक्षक (मनो)हेमचन्द्र, श्रीमति जानकी, प्रीत‌ी,मिनाक्षी, ममता प्रधान मनाला,अजय,जसविन्दर कौर,सरफराज (को० प्रधान) ममता बोहरा,अल्पना त्यागी, सुधा नवनीत नरेश शर्मा विनोद खत्री कुंदन शर्मा मेघा रेखा पांडे गोविंद रमेश सुष्मिता सेन नेगी लक्ष्मण सिंह गौरव उपाध्याय संजय रमन के अलावा तमाम खिलाड़ी  मौजूद रहे।

By Ali Akbar

संपादक: काशी क्रांति- हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र

मुख्य कार्यालय– इस्लामनगर, बसई चौक, थाना कुंडा, काशीपुर, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड 244713 सम्पर्क सूत्र– 99279 76675

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